Thursday, October 14, 2010

उद्योग में वास्तु का महत्व

प्रिय जातकों,
यदि आप अपने कारखाने में सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए निम्न पहलुओं पर ध्यान दें, तो मॉ लक्ष्मी की सदैव आप पर कृपा बनी रहेगी तथा उन्नति आपके कदम चूमेगी ।
कारखाने में उत्तर और पूर्व में खाली जगह होनी चाहिए।
कारखाने का दरवाजा या प्रवेश पूर्व या उत्तर में होना चाहिए।
मुख्य द्वार पर स्वास्तिक या ऊँ का निशान होना चाहिए।
बॉस के केबिन के बाहर खड़े गणेश जी की तस्वीर, पेटिंग आदि लगानी चाहिए।
पूजन का स्थान दिशा में होना चाहिए।
कारखाने के सामने धार्मिक स्थल मंदिर, चर्च आदि नहीं होना चाहिए।
कारखाने के मालिक का कमरा दक्षिण-पश्चिम भाग में होना चाहिए।
सीढ़ी दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम भाग में बनवानी चाहिए।
मुख्य मशीन या भारी मशीन कारखाने के दक्षिण-पश्चिम, में होना चाहिए।
कच्चे माल का कमरा दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
तैयार माल का स्थल, पैकिंग और फारवर्डिंग वाले माल को उत्तर-पश्चिम उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व के स्थान पर रखना चाहिए।
गोदाम, भण्डार कक्ष या स्टोर रूम दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम में होना चाहिए।
पानी की टंकी दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में होनी चाहिए।
कारखाने का बॉयलर, जेनरेटर, ओवन, ट्रान्सफार्मर, तेल-इंजन आदि दक्षिण-पूर्व की दिशा में रखना चाहिए।
वजन तोलने वाली मशीन उत्तर-पश्चिम, मध्य-उत्तर या मध्य-पूर्व में रखना चाहिए।
कैशियर को पूर्व की दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए। कैश बॉक्स दाएं हाथ की तरफ रखना चाहिए।
एकाउण्ट सेक्शन उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। एकाउन्ट ऑफिसर को उत्तर दिशा में बैठना चाहिए।
लॉकर और तिजोरी के लिए दक्षिणी भाग शुभ है जिसमें नकदी एवं जरूरी कागजात रख सकते हैं।
छत को सदैव साफ-सुथरा रखना चाहिए।
कार, स्कूटर आदि वाहन उत्तर, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम भाग में खड़ा करना चाहिए।
उत्तर-पूर्व दिशा सदैव खाली रखना चाहिए, यहां से धन का आगमन होता है।
उत्तर-पष्चिम या दक्षिण-पूर्व में से किसी एक जगह पर शौचालय बनवाना चाहिए।
इति शुभम भूयात्।
शुभाशीर्वाद सहित ।
डॉ0 नरेन्द्र दीक्षित
अधिक जानकारी के लिए स‌ंपर्क करें- 09311424365, 07503124365 या swamijinoida@gmail.com

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