उद्देश्य - ज्योतिष, वास्तु एवं कर्मकाण्ड के माध्यम से संस्कार विहीन होते जा रहे जनमानस को अपने भारतीय संस्कारों का ज्ञान दे कर जनहित में मानव की सेवा करते हुए संस्कार केन्द्रों की स्थापना करना ।
योगदान -1. सन 2002 में विशेष वैदिक विद्वान ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न पूजा प्रतिक्रिया के बाद ‘‘स्वामी जी’’नाम का प्रादुर्भाव हुआ।
2. राजयोग आध्यात्मिक संस्थान की गतिविधियों को बढाते हुए समय-समय पर गरीब लड़के-लड़कियों का विवाह सम्पन्न कराना तथा गरीब बच्चों के यज्ञोपवीत आदि वैदिक संस्कार सम्पन्न कराये ।
3. सन 1997 में पूज्य गुरूदेव जगत्गुरू शंकराचार्य स्वामी शान्तानन्द सरस्वती जी महाराज के आदेश से एवं पिता आचार्य पं0 लज्जा राम दीक्षित जी के प्रेरणा से राजयोग आध्यात्मिक संस्थान की स्थापना की ।
4. सन 1992 में जागृति कला मंच की स्थापना कर उसके माध्यम से नवरात्रों में जनमानस के कल्याणार्थ श्री महा लक्ष्मी एवं श्री शतचण्डी महायज्ञ का तीन वर्षों तक आयोजन कराया ।
5. सन 1990 में नव युवक मंडल की स्थापना कर महा-सचिव के रूप में राम-लीला, कृष्ण-लीला तथा अनेकानेक संस्कृतिक कार्यक्रमों को सम्पन्न किया ।
6. सन 1988 से सनातन धर्म सेवा समिति से धर्म- प्रचारक के रूप में जुड़ कर भव्य मन्दिर निर्माण में अधिकाधिक सहयोग किया।
7. सन 1979 से 1988 तक विश्व विख्यात महर्षि महेश योगी की संस्था से जुड़कर अपने पिता आचार्य पं0 लज्जा राम दीक्षित जी (धर्माचार्य, वरिष्ठ प्राचार्य एवं ज्योतिष विभागाध्यक्ष) के सान्निध्य में वेद-पाठ, कर्मकाण्ड, वास्तु, ज्योतिष आदि का अध्ययन करते हुए करीब 4000 वैदिक ब्राह्मणों को प्रशिक्षण दिया एवं उन्हें संस्कारों का ज्ञान कराया।
योगदान -1. सन 2002 में विशेष वैदिक विद्वान ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न पूजा प्रतिक्रिया के बाद ‘‘स्वामी जी’’नाम का प्रादुर्भाव हुआ।
2. राजयोग आध्यात्मिक संस्थान की गतिविधियों को बढाते हुए समय-समय पर गरीब लड़के-लड़कियों का विवाह सम्पन्न कराना तथा गरीब बच्चों के यज्ञोपवीत आदि वैदिक संस्कार सम्पन्न कराये ।
3. सन 1997 में पूज्य गुरूदेव जगत्गुरू शंकराचार्य स्वामी शान्तानन्द सरस्वती जी महाराज के आदेश से एवं पिता आचार्य पं0 लज्जा राम दीक्षित जी के प्रेरणा से राजयोग आध्यात्मिक संस्थान की स्थापना की ।
4. सन 1992 में जागृति कला मंच की स्थापना कर उसके माध्यम से नवरात्रों में जनमानस के कल्याणार्थ श्री महा लक्ष्मी एवं श्री शतचण्डी महायज्ञ का तीन वर्षों तक आयोजन कराया ।
5. सन 1990 में नव युवक मंडल की स्थापना कर महा-सचिव के रूप में राम-लीला, कृष्ण-लीला तथा अनेकानेक संस्कृतिक कार्यक्रमों को सम्पन्न किया ।
6. सन 1988 से सनातन धर्म सेवा समिति से धर्म- प्रचारक के रूप में जुड़ कर भव्य मन्दिर निर्माण में अधिकाधिक सहयोग किया।
7. सन 1979 से 1988 तक विश्व विख्यात महर्षि महेश योगी की संस्था से जुड़कर अपने पिता आचार्य पं0 लज्जा राम दीक्षित जी (धर्माचार्य, वरिष्ठ प्राचार्य एवं ज्योतिष विभागाध्यक्ष) के सान्निध्य में वेद-पाठ, कर्मकाण्ड, वास्तु, ज्योतिष आदि का अध्ययन करते हुए करीब 4000 वैदिक ब्राह्मणों को प्रशिक्षण दिया एवं उन्हें संस्कारों का ज्ञान कराया।
अन्य गतिविधियां: 1. सन 1992 से भारत के अनेकों प्रतिश्ठित समाचार पत्रों में वरिष्ठ संवाददाता, डेस्क-प्रभारी, सह-संपादक, समाचार संपादक आदि के पदों पर कार्य करते हुए वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्यरत।
2. अनेकों प्राइमरी पाठशालाओं एवं पब्लिक स्कूलों में समय-समय संस्कार शिविरों का अयोजन करना ।
2. अनेकों प्राइमरी पाठशालाओं एवं पब्लिक स्कूलों में समय-समय संस्कार शिविरों का अयोजन करना ।
शिक्षा:- हाई स्कूल- उ0प्र0 बोर्ड।
इन्टर मीडिएट- उ0प्र0 बोर्ड ।
शास्त्री- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
आचार्य- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
पी.एच.डी. (संस्कार)-एम.ई.आर.यू., मॉरीशस
विशेष शिक्षा:- बी.जे.एम.सी.- अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय, रीवा, म. प्र.
एम.जे.एम.सी.- मारवाह इन्टीट्यूट आफ मास कम्यूनिकेशन, नोएडा
डिप्लोमा- वास्तु , ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड विशेषज्ञ- भारतीय वास्तु एवं ज्योतिष शोध संस्थान म.प्र.
डिप्लोमा- जेम्स टेस्टिंग, जेम्स एण्ड ज्वेलरी टेस्टिंग इस्टीट्यूट, नई दिल्ली
अभिरूचि:पठन-पाठन, धार्मिक स्थलों का भ्रमण, यज्ञ-अनुष्ठान, कर्मकाण्ड आदि विषयों पर शोध करना।
दक्षता:- समस्त वैदिक संस्कारों को धाराप्रवाह सम्पन्न कराना । समस्त प्रकार की जन्म पत्रिकाओं का निर्माण एवं विवेचन । जागृत वैदिक/पौराणिक मंत्र शक्तियों द्वारा ग्रहों की शान्ति करना एवं वैदिक विद्वान ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न कराना । रत्न चिकित्सा द्वारा मानव जीवन की समस्त कठिनाईयों का समाधान करना । घर एवं घर का मानचित्र देख कर वास्तु दोष निवारण करना । प्रश्न लग्न के आधार पर जन्म पत्रिका निर्माण एवं भूत-भविष्य कथन ।
आकांक्षा एवं संकल्पः- विश्व शान्ति के लिए मानव का सुसंस्कृत, सुदृढ़ एवं चेतनावान , चरित्र निर्माण करना ।
अन्य विवरण:- पिता - आचार्य पं0 लज्जा राम दीक्षित
जन्म तिथि 15 जून 1969
जन्म स्थान - नैमिषारण्य जनपद-सीतापुर, उ.प्र.
No comments:
Post a Comment